साइन्स सेंटर (ग्वा. के बारे में)

साइन्स सेन्टर (ग्वा.) मध्य प्रदेश (म0प्र0) विज्ञान लोकप्रियकरण तथा जन विज्ञान आन्दोलन के क्षेत्र में कार्यरत् एक स्वैच्छिक संगठन है। साइन्स सेन्टर ने अपना कार्य 1987 से प्रारम्भ किया , लेकिन औपचारिक तौर पर संगठन 1988 में स्थापित हुआ। अपने छोटे से कार्यकाल में साइन्स सेन्टर ने मध्य प्रदेश के बहुत पिछड़े हुए क्षेत्र में विज्ञान लोकप्रियकरण को एक आन्दोलन का रूप देते हुए एक नई दिषा दी। साइन्स सेन्टर के इस संगठन में हजारो बच्चे, षिक्षक, स्वयंसेवक, ग्रामीण व आमजन शामिल हैं। साइन्स सेन्टर के द्वारा बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने तथा वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देष्य से बाल विज्ञान परिषदों को स्थापित किया गया, साथ ही साइन्स सेन्टर ने अंध विष्वासों तथा पाखण्डों को दूर करने की दिषा में अनेक सफल प्रयास किये। संगठन की उपलब्धियां पिछले वर्षो में काफी महत्वपूर्ण रही है।

अपने कार्यक्रमों जैसे साइन्स रैली, विज्ञान गीत, विज्ञान नाटक, विज्ञान क्विज, सेमीनार तथा सर्वे के माध्यम से संगठन ने लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा है। साइन्स सेन्टर द्वारा देष के अन्य स्वयंसेवी संगठनों के स्वयंसेवकों के लिए भी अनेक प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं।

बच्चों तथा षिक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने तथा उन्हें विज्ञान विधि सिखाने के उद्देष्य से संगठन द्वारा बाल विज्ञान कांग्रेस तथा शिक्षक विज्ञान काफ्रेंस की शुरूआत की गई। इसके पीछे मुख्य उद्देष्य बच्चों व षिक्षकों में खेल खेल में विज्ञान सीखना, खुद करके सीखों की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है। साइन्स सेन्टर की अन्य गतिविधियों में प्रकृति अध्ययन गतिविधियां, चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या, विज्ञान लेखन कार्यशालायेँ, पेयजल सर्वे, क्लीन अप स्कूल एक्टिविटी, साइन्स फेस्टीवल, जल साक्षरता अभियान, जन विज्ञान उत्सव, चम्बल घाटी बचाओं आन्दोलन तथा स्वास्थ्य गतिविधियां  हैं।

साइन्स सेन्टर (ग्वा.) म0प्र0 की गतिविधियों को अनेक राज्य सरकारों तथा राष्ट्रीय स्तर के स्वयंसेवी संगठनों द्वारा सराहा गया है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के विज्ञान लोकप्रियकरण हेतु सर्वेश्रेष्ठ अवार्ड द्वारा संस्था को 1992 में नवाजा गया तथा संस्था के संस्थापक सचिव स्व. श्री अरूण भार्गव को बच्चों में विज्ञान लोकप्रियकरण हेतु यह अवार्ड सन् 2001 में दिया गया।

We use cookies on our website to support technical features that enhance your user experience.

We also use analytics & advertising services. To opt-out click for more information.